‘नवधान्य’ के ’वसुधैव कुटुम्बकम’ यानी धरती के गणतंत्र पर आधारित (Earth Democracy Based) आंदोलन का उद्देश्य बीज-स्वराज, अन्न-स्वराज, भू-स्वराज और ज्ञान-स्वराज के माध्यम से भारत की जैव-विविधता और उसकी विरासत की रक्षा करना है। बीज-स्वराजः बीज-स्वराज के माध्यम से हमने भूटान सहित भारत के 18 राज्यों में 122 सामुदायिक बीज बैंकों की स्थापना की है। इन बैंकों के माध्यम से हमने ओडिशा में सुपर चक्रवात, सुनामी, और फैलिन, उत्तराखंड की भीषण बाढ़ तथा नेपाल में विनाशकारी भूकंप जैसी आपदाओं के बाद वहां के किसानों के लिए ’आशा के बीज’ वितरित किए। अन्न-स्वराज: स्वस्थ, सुरक्षित, पौष्टिक एवं भरपूर मात्रा में अन्नोत्पादन हेतु हम प्रतिबद्ध हैं। ‘अन्नम् बहु कुर्विता’- तैतेरेय पुराण, अर्थात- अन्न भरपूर मात्रा में और सभी प्राणियों के लिए उत्पादित हो। अन्न-स्वराज के माध्यम से हम किसानों को जैविक-खेती में प्रशिक्षित करते हैं। हम लोगों को जैव-विविधता को नष्ट करने वाली और कर्ज के बोझ से किसानों को आत्महत्या की ओर धकेलने वाली रसायनिक खेती के प्रति सावधान करते हैं। भू-स्वराज: मिट्टी हमारी मां है। मिट्टी हमारी पहचान और आजीविका का आधार है। प्राकृतिक/जैविक खेती के माध्यम से इस पृथ्वी को हम स्वस्थ, सुरक्षित एवं उर्वरा-सम्पन्न बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम उपभोगताओं को जंक-फूड एवं औद्योगिक-स्तर पर तैयार प्रसंस्करित खाद्य-पदार्थों से स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान के प्रति सचेत करते हैं। साथ ही उन्हें स्थानीय-स्तर पर उपलब्ध ताजे व पोषण-युक्त जैविक भोजन के बारे में जागरूक करते हैं। हमारे नए अभियान ‘भोजन सम्पन्न नगर’ ( फूड स्मार्ट सिटी) का उद्देश्य देश के विभिन्न शहरों को स्वस्थ एवं सुरक्षित भोजन से जोड़ना है। ज्ञान-स्वराजः ’ज्ञान-स्वराज’ के माध्यम से हम जैव-विविधता, कृषि-पारिस्थितिकी, जलवायु परिवर्तन के साथ कृषि-उत्पादन तथा खाद्य-सुरक्षा में विविध खाद्य प्रजातियों के योगदान पर शोध कार्य करते हैं। हम पारंपरिक ज्ञान और स्वदेसी जैव-विविधता की चोरी का विरोध करते हैं। नीम, बासमती और गेहूं से संबंधित जैविक चोरियों के विरूद्ध कई मामलों में हमारी जीत भी हुई है। अब हम जलवायु-प्रतिरोधी फसलों की नकल के विरूद्ध चुनौती अभियान चला रहे हैं। प्रकृति के संग सद्भाव बढ़ाने और पारिस्थितिकीय जागरूकता फैलाने के लिए नवधान्य जैविक आश्रम में एक बीज विद्यापीठ/ अर्थ यूनिवर्सिटी नामक अध्ययन केंद्र सक्रियता के साथ कार्य कर रहा है। हम ग्रामीण एवं शहरी सामुदायों को जैविक एवं स्वास्थ्यवर्द्धक भोजन से जोड़ने, लघु तथा सीमांत किसानों और वंचित समुदायों को पृथ्वी-भ्रमण तथा पारस्थितिकी-पर्यटन (इको-टूरिज्म) के माध्यम से आजीविका उपार्जन हेतु सुविधा भी प्रदान करते हैं।