इस कार्यक्रम की अध्यक्षता नवधान्य की निदेशक तथा सुप्रसिद्ध पर्यावरणविद्, डा. वंदना शिवा करेंगी।
कार्यक्रम बारे में विस्तृत जानकारी देते डा. वंदना शिवा कहती हैं- ’ आज भारतीय किसानों की स्थिति पिछले 40 वर्षों से भी दयनीय हैं। रासायनिक खेती के चलते आज हर चैथा किसान भुखमरी का शिकार हो रहा है। रासायनिक खेती का माॅडल पूरी तरह से विफल हो चुका है और ऐसे में जैविक खेती ही भविष्य की खेती को संवारने का एकमात्र विकल्प है।’ उन्होंने आगे कहा.’वसंुधरा महोत्सव’ उन हजारों किसानों की धरती मां से मानव समाज को स्वस्थ एवं समृद्ध रखने की प्रार्थना है। हम एक साथ मिलकर परम्परागत खेती की विधि को अपनाने के लिए कृत संकल्प हैं, जिससे हम सभी को स्वादिष्ट एवं पौषिक भोजन प्राप्त हो सकेगा।’
मुख्य वक्ताः माननीय मुख्यमंत्री, उत्तराखंड सरकार, श्री हरीश रावत; डा. वंदना शिवा।
राष्ट्र स्तरीय प्रतिनिधि: डा. हक, डा. कृष्ण बीर चैधरी, डा. वीर सिंह, श्री अजय रस्तोगी।
अंतराष्ट्रीय प्रतिनिधि: अध्यक्ष, इंटरनेशनल आॅर्गनिक एग्रीकल्चर मूवमेंट (आई.एफ.ओ.ए.एम.), किसान, श्री एंड्रे ल्यू ; डाइरेक्टर, आॅर्गेनिक कंज्यूमर एलाइंस (ओ.सी.ए.), राॅनी क्यूमिन्स; मानव विज्ञानी तथा लेखक, डा. विल एलेन।
प्रतियोगियों को सम्मान- इस अवसर पर नवधान्य ने स्थानीय विद्यालयों के विद्यार्थियों के लिए पोस्टर, निबंध तथा कविता लेखन प्रतियोगिता का आयोजन भी किया है, इन प्रतियोगिताओं में विजयी प्रतिभागियों को मुख्यमंत्री के कर कमलों द्वारा सम्मानित किया जाएगा।
इस अवसर पर निम्नांकित मुख्य बिंदुओं पर प्रकाश डाला जाएगा-
- अन्न स्वराज-2020 राष्ट्रीय किसान महासभा ’वसुंधरा-2015’ की मुख्य अवधारणा वर्ष-2020 तक भारत के नगरों को अन्न-सम्पन्न परिक्षेत्रों से जोड़ना है। इन परिक्षेत्रों से जहां गांवों के जैविक किसान अपने उत्पादों के माध्यम से नगर वासियों से जुड़ेगे वहीं, वहीं शहर वासियों को स्वच्छ, ताजा एवं शुद्ध भोजन प्राप्त हो सकेगा। कार्यक्रम के दौरान ऐसी कृषि-व्यवस्था की बात रखी जाएगी जो गांव और शहरों को एक दूसरे से भोजन, स्वास्थ्य एवं समृद्धि के रिश्ते से जोडे़गी, जिसमें किसान अपने उत्पाद को वांछित मूल्य पर खेत से ही बेच सकेगा और उपभोक्ता उचित दाम पर शुद्ध, स्वच्छ, ताजा एवं मिलावट रहित भोजन प्राप्त कर सकेगा।
- जी.एम. यानी आनुवांशिक रूप से रूपांतरित फसलों तथा विनाशकारी खरपतवार नाशी रसायनों से मुक्ति हेतु एक मात्र विकल्प जैविक खेती पर गहन चर्चा की जाएगी।
- सरसों सत्याग्रह: गेहूं और सरसों की मिश्रित-खेती किसानों की आमदनी में बढ़ोत्तरी करती है। लेकिन, टर्मिनेटर यानी बांझ सरसों के कारण हमारा पारम्परिक सरसों और उसकी किस्मों पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। यदि यह बांझ बीज हमारे खेतों में प्रवेश करता है तो ’मक्के की रोटी और सरसों का साग’ कहावत मात्र रह जाएगी। इन बीजों में ऐसी प्रौद्योगिकी का प्रयोग किया गया है कि किसान इनसे प्राप्त फसलों से कभी अपने बीज तैयार नहीं कर सकता और उसे प्रत्येक फसल के लिए बाजार से ये विषाक्त बीज खरीदने पडे़ंगे, जिसके चलते अन्नदाता को जीवन-भर कर्ज के बोझ तले दबा रहना पडे़गा। ये विषाक्त बीज न सिर्फ हमारी फसलों को खत्म कर देंगे, बल्कि इनसे मनुष्य के स्वास्थ्य पर भी चिंताजनक प्रभाव पडे़गा। अपने पारम्परिक सरसों को बचाने के लिए ’सरसों सत्याग्रह’ महा-अभियान को सफल का आह्वान किया जाएगा।
- 2020 जैविक भारत हेतु कार्य योजना प्रस्तुत की जाएगी।
अधिक जानकारी हेतु सम्पर्क करें
डा. विनोद कुमार भट्ट, कार्यकारी निदेश, नवधान्य
सम्पर्कः ़ ़91 8191802086
दिनेश चंद्र सेमवाल, नवधान्य
सम्पर्कः ़ 91 9897293685