’हम अपने कर्तव्यों के प्रति चैतन्य होकर देश के स्वास्थ्य एवं पर्यावरण की रक्षा करेंगे’प्रिय मित्रो!
मैं आप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करती हूं। 26 जनवरी 1950 भारतीय इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण दिन है। आज के दिन से ही हमारे देश का संविधान लागू हुआ था। इसी दिवस पर देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति देकर हमारे असंख्य वीर-बांकुरों का सपना साकार हुआ। हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष के फलस्वरूप आज गणतंत्र दिवस की 67वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। संविधान जहां हमारे लिए जीवन जीने के नैर्सगिक एवं मानवीय अधिकारों का संरक्षण करता है, वहीं अपने देश और धरती के प्रति कर्तव्यों का बोध भी कराता है। अपने गणतंत्र को अक्षुण बनाये रखने के लिए हमें अपने अधिकारों के साथ कर्तव्यों के प्रति भी सचेत रहना होगा। अपने कर्तव्यों के प्रति चैतन्यता से जहां हम आतंकी बिडम्बनाओं से देश की रक्षा कर सकेंगे, वहीं देश के स्वास्थ्य एवं पर्यावरण का संरक्षण भी कर संकेंगे। आज देश दो-तरह के आतंक का सामना कर रहा है। पहला आतंक, वह जो देश की सीमाओं से घुसपैठ कर हमारे जन-धन को हानि पहुंचाने की घृणित मनसिकता रखता है और दूसरा आतंक वह जो हमारे खेत तथा भोजन में रसायनों के माध्यम से घुसपैठ कर सम्पूर्ण पर्यावरण तथा मानव-स्वास्थ्य का विनाश करने पर तुला हुआ है। हमारी स्वतंत्रता तभी अक्षुण रहेगी, जब हम देश को सभी तरह के आतंकों से मुक्त रख सकेंगे। रसायनों से मुक्त और जैव-यांत्रिक बीजों (जी.एम) से विहीन खेती से ही देश के सम्पूर्ण स्वास्थ्य एवं पर्यावरण की रक्षा सम्भव है। इस पावन पर्व पर हम मिलकर देश को स्वस्थ व सम्पन्न बनाने हेतु अपने कर्तव्यों के निर्वहन के प्रति जुट जाएं! आइए, मिलकर कदम बढ़ाएं! धन्यवाद!!
डा. वंदना शिवा