- युवा अन्न स्वराज अभियान से होगा भारत का भविष्य सुरक्षित।
- बताया गया अधिक वजनी होने का राज।
- आठ में से एक व्यक्ति है मोटापे का शिकार।
- जंक फूड से मुक्ति और जैविक भोजन अपनाने की ली सपथ।
इस अवसर पर नवधान्य की ओर से कहा गया कि भारत एक युवाओं का देश है, लेकिन जंक फूड/नकली भोजन/ विषाक्त भोजन के माध्यम से हमारे बच्चे और युवाओं को स्वस्थ रहने और पोषण प्राप्त करने के अधिकार से वंचित किया जा रहा है। आजकल बच्चे ही नहीं युवा भी जंक फूड की लत के शिकार होते जा रहे हैं। जंकफूड की यह लत किसी नशे से कम नहीं है। इस लत से स्वास्थ्य के लिए अविश्वसनीय रूप से हानिकारक स्थिति उत्पन्न हो जाती है। जंक फूड में जहां पोषक तत्वों का अभाव रहता है वहीं इनको स्वादिष्ट बनाने के लिए कई हानिकारक रसायनों का प्रयोग भी किया जाता है।
इस अवसर पर रोगनियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (सी.डी.सी.) के हवाले से कहा गया कि वयस्कों में अंतिम बीस वर्ष में मोटापा 60 प्रतिशत बढ़ता है जबकि बचपन से लेकर तीस वर्ष तक तिगुना वनज में वृद्धि दर्ज की गई। एक आंकडे के अनुसार 2005 में भारत में हुई कुल मौतों में से 50 प्रतिशत मृत्यु मौटापे और मधुमेह के कारण हुईं। यदि यही हालात रहे तो मोटापे और मधुमेह के कारण मौत का यह अनुपात 2030 तक एक तिहाई के आंकडे को पार कर जाएगा। नवीनतम राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (2005-06) के मुताबिक प्रत्येक आठ में से कम से कम एक भारतीय मोटापे या अधिक वनज की बीमारी का शिकार हो रहा है। दिल्ली उच्च न्यायालय के 2015 के एक फैसले आधार पर एफ.एस.एस. ने कैंटीन पाॅलिसी के साथ ही स्कूली स्वस्थ्य शिक्षा तथा विद्यार्थियों एवं अभिभावकों में जागरूकता फैलाने के लिए एक मसौदा तैयार किया है।
कहा गया कि भारत का भविष्य यहां के बच्चों और युवाओं के हाथों में है। इस अवसर पर नवधान्य ने युवा अन्न-स्वराज अभियान से अधिकाधिक युवाओं को जोड़ने का आह्वान किया और जंक फूड तथा विषाक्त भोजन से मुक्ति पाने के साथ ही स्वस्थ तथा जैविक भोजन अपनाने की सपथ ली गई।