अपने कर्तव्यों के प्रति चैतन्यता से जहां हम आतंकी बिडम्बनाओं से देश की रक्षा कर सकेंगे, वहीं देश के स्वास्थ्य एवं पर्यावरण का संरक्षण भी कर संकेंगे। आज देश दो-तरह के आतंक का सामना कर रहा है। पहला आतंक, वह जो देश की सीमाओं से घुसपैठ कर हमारे जन-धन को हानि पहुंचाने की घृणित मनसिकता रखता है और दूसरा आतंक वह जो हमारे खेत तथा भोजन में रसायनों के माध्यम से घुसपैठ कर सम्पूर्ण पर्यावरण तथा मानव-स्वास्थ्य का विनाश करने पर तुला हुआ है। हमारी स्वतंत्रता तभी अक्षुण रहेगी, जब हम देश को सभी तरह के आतंकों से मुक्त रख सकेंगे। रसायनों से मुक्त और जैव-यांत्रिक बीजों (जी.एम) से विहीन खेती से ही देश के सम्पूर्ण स्वास्थ्य एवं पर्यावरण की रक्षा सम्भव है।’- डा. वंदना शिवा
देहरादून। 67वां गणतंत्र दिवस-2016 मंगलवार को नवधान्य, जैवविविधता एवं संरक्षण फार्म, रामगढ़, देहरादून पर हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर प्रातः 9 बजे फार्म प्रबंधक श्री जे.पी.,खाली के संग बीजा दीदी ने झण्डारोहण कर राष्ट्रीय ध्वज को सलामी दी। तत्पश्चात राष्ट्रगान हुआ। इस समारोह में नवधान्य फार्म स्थित समस्त कार्यकर्ता समस्त सम्मिलित थेे।
इस अवसर पर श्री खाली ने नवधान्य फार्म की संस्थापक, एवं विश्वविख्यात पर्यावरण विद् डा. वंदना शिवा का संदेश पढ़ा। हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष के फलस्वरूप आज गणतंत्र दिवस की 67वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। उन्होंने आगे कहा संविधान जहां हमारे लिए जीवन जीने के नैर्सगिक एवं मानवीय अधिकारों का संरक्षण करता है, वहीं अपने देश और धरती के प्रति कर्तव्यों का बोध भी कराता है। अपने गणतंत्र को अक्षुण बनाये रखने के लिए हमें अपने अधिकारों के साथ कर्तव्यों के प्रति भी सचेत रहना होगा। अपने कर्तव्यों के प्रति चैतन्यता से जहां हम आतंकी बिडम्बनाओं से देश की रक्षा कर सकेंगे, वहीं देश के स्वास्थ्य एवं पर्यावरण का संरक्षण भी कर संकेंगे। आज देश दो-तरह के आतंक का सामना कर रहा है। पहला आतंक, वह जो देश की सीमाओं से घुसपैठ कर हमारे जन-धन को हानि पहुंचाने की घृणित मनसिकता रखता है और दूसरा आतंक वह जो हमारे खेत तथा भोजन में रसायनों के माध्यम से घुसपैठ कर सम्पूर्ण पर्यावरण तथा मानव-स्वास्थ्य का विनाश करने पर तुला हुआ है। हमारी स्वतंत्रता तभी अक्षुण रहेगी, जब हम देश को सभी तरह के आतंकों से मुक्त रख सकेंगे। रसायनों से मुक्त और जैव-यांत्रिक बीजों (जी.एम) से विहीन खेती से ही देश के सम्पूर्ण स्वास्थ्य एवं पर्यावरण की रक्षा सम्भव है। इस पावन पर्व पर हम मिलकर देश को स्वस्थ व सम्पन्न बनाने हेतु अपने कर्तव्यों के निर्वहन के प्रति जुट जाएं!
इस अवसर पर बीजा दीदी ने महिला किसानों के संघर्ष तथा देश के लिए उनके योगदान को एक स्थानीय गीत के माध्यम से प्रस्तुत किया। वहीं सभी ने करतल ध्वनि के साथ राष्ट्रीय गीत वंदेमातरम भी गाया। कार्यक्रम के अंत में मिष्ठान वितरण किया गया।