प्रिय मित्रांे!
मैं आप सभी को ’नव वर्ष’ के आगमन पर शांति, सुरक्षा, प्रसन्नता, स्वास्थ्य एवं समृद्धि की हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करती हूं! आने वाला वर्ष हम सब के लिए सकारात्मक आश बनाए रखने, लक्ष्यों को प्राप्त करने, दृढ़ संकल्प और नए विश्वास के साथ नई शुरुआत करने का है। आगामी समय एकजुट होकर भावी अवसरों तथा चुनौतियों के लिए स्वयं को तैयार करने का भी है। रासायनिक खाद तथा कीटनाशकों के प्रयोग के कारण हमारे खेतों की उर्वरता में जो ह्रास हुआ और जैव-विविधता का जो विनाश हमारे हाथों होता आया है, अब उस भूल को सुधारने का समय आ चुका है। जी.एम.(जैव-यांत्रिक) बीजों के कारण हजारों वर्षों से चले आ रहे परम्परागत बीजों और हमारे स्वास्थ पर मंडरा रहे संकट के बादलों से हमें रणनीति पूर्वक निपटना होगा। बहुदेशीय बीज-कम्पनियों के बहकावे से निकलकर और जैविक-खेती को अपनाने से ही इन सभी चुनौतियों पर हमें विजय प्राप्त हो सकेगी। जैविक-खेती हमारे उत्तम स्वास्थ्य और स्वस्थ अर्थव्यवस्था का विकल्प निर्धारित करने में सक्षम है। इस हेतु हम सभी ने वसुंधरा-2015 में ’अन्न स्वराज-2020’ के माध्यम से ’अन्न सम्पन्न नागरिक’ नामक कार्य योजना को अपनाने का संकल्प लिया था। वर्ष-2016 इसी कार्य योजना पर दृढ़ता पूर्वक कार्य करने का सुअवसर प्रदान करेगा। इसके तहत हम नए वर्ष से ’अन्नपूर्णा’ नामक योजना प्रारम्भ करने जा रहे हंै। इस योजना के तहत नधान्य के सभी अन्न-स्वराज समूहों के किसान अपने गांव/क्षेत्र में ’अन्नपूर्णा केंद्र’ का गठन करेंगे। प्रत्येक अन्नपूर्णा केंद्र अपने जैविक उत्पादों को सूचीबद्ध करेंगे और अपने नजदीकी नगर के उपभोगताओं से सम्पर्क स्थापित करेंगे। ये उपभोगता अन्नपूर्णा केंद्रों में अपनी आवश्यक खाद्य-वस्तुओं को प्राप्त करने हेतु आदेश देंगे और इन आदेशित वस्तुओं को 10 दिन से एक महीने के भीतर घर पर प्राप्त कर सकेंगे। इस तरह से उपभोगता वांछित उत्पादों को बिना किसी बिचैलिए के प्राप्त कर सकेंगे। कुल मिलाकर उपभोगता ’अन्नपूर्णा’ नामक पहल से जुड़कर अन्न-सम्पन्न नागरिक बन सकेंगे, जिससे उन्हें शुद्ध, स्वच्छ एवं पूर्णरूप से जैविक भोजन प्राप्त कर सकेंगे और स्वस्थ रहकर चिरायु हो सकेंगे।
नव-वर्ष हममें से प्रत्येक के लिए विगत की सफलताओं और उपलब्धियों के साथ-साथ कमियों और गलतियों पर मनन करने का समय भी है। विगत वर्ष में पंजाब के कपास उत्पादक किसानों के साथ जो हुआ और भारत के अन्य क्षेत्रों में रासायनिक खेती के कारण कर्ज की जो स्थिति उत्पन्न हुई, उससे सबक लेने का भी समय अब आ ही गया है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष-2016 को ’दाल का साल’ घोषित किया है। यह पहल हमारी खाद्य एवं पोषण-सुरक्षा के साथ ही अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देगी, हमारा ऐसा विश्वास है। हम सभी मिलकर खुशहाल जीवन और समृद्ध देश का निर्माण करेंगे।
धन्यवाद!